बेसन को छानकर एक बड़े कटोरे में लेकर उसमें धीरे-धीरे पानी, दूध, केसर का पानी डालकर स्मूद बैटर (बेसन का घोल) तैयार कर लें। ध्यान रहे की घोल बिना गांठ वाला और न ज्यादा पतला और न ज्यादा गाढ़ा होना चाहिए।
अब एक बड़ी कढ़ाई या फ्राइंग पैन में घी गर्म करें।
कड़ाई के पास ही एक गोल डब्बा रख लें जो कढ़ाई से थोड़ा ऊँचा हो और गैस की आंच से थोड़ा दूर हो, जिससे की बारीक़ बूंदी बनाने वाले करछुल (बारीक छेद वाला झारा) में बेसन का घोल डालकर थपथपाने में आसानी होगी।
अब इस गर्म घी की कढ़ाई में बूंदी बनाने वाले करछुल में बेसन का घोल डालकर उसके हेंडल के बीच के हिस्से को धीरे धीरे थपथपायें जिससे की बेसन के घोल की बारीक़ बारीक़ बूंदें कढ़ाई में गिरने लगे।
जैसे ही बूंदी हलके सुनहरे रंग की होने लगे उन्हें दूसरे बारीक़ छेद वाले बड़े करछुल से बाहर निकालकर अच्छे से घी निथार लें और फिर चाशनी वाली कड़ाई में डाल दें।
ध्यान रखें की यह बारीक़ बूंदी ज़्यादा देर तक कड़ाई में न रहे, वरना यह कुरकुरी और भूरी हो जाएगी और लड्डू बनाते समय बूंदी की आपस में पकड़ न होने के कारण लड्डू बिखर जायेगा।
एक चीज का और ध्यान रखें की चाशनी थोड़ी गर्म होनी चाहिए यदि चाशनी ठंडी हो गई हो तो उसे थोड़ा गर्म कर लें
लगभग 15 से 20 मिनट तक बारीक बूंदी को चाशनी में दुबे रहने दें जिससे की वह अच्छे से चाशनी सोख ले।
इस बीच मगज/खरबूजे के बीज और इलायची के दाने को हल्का सा घी में भून लें।